
स्थान: चंडाक, पिथौरागढ़, उत्तराखंड
मोस्टामानु मंदिर, जिसे मोस्टा देवता का मंदिर भी कहा जाता है, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के चंडाक क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर पिथौरागढ़ शहर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है। यह मंदिर मुख्य रूप से मोस्टा देवता (वर्षा के देवता) को समर्पित है, जिन्हें सोर घाटी (Saur Valley) के लोगों द्वारा वर्षा और फसल उगाने के लिए पूजनीय देवता माना जाता है।
मोस्टा देवता की मान्यता और धार्मिक महत्व
मोस्टा देवता, जिन्हें मोस्टामानु के नाम से भी जाना जाता है, को वर्षा के देवता के रूप में पूजा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, मोस्टा देवता को देवताओं के राजा इंद्र (Indra) का पुत्र माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान इंद्र ने पृथ्वी लोक पर भोग-प्राप्ति के लिए मोस्टा देवता को अपना उत्तराधिकारी बनाया और उन्हें वर्षा का अधिपति (Lord of Rain) घोषित किया।
इसके अलावा, यह भी मान्यता है कि मोस्टा देवता की माता देवी कालिका हैं और वह स्वयं अपने पुत्र के साथ भूलोक (धरती लोक) पर निवास करती हैं। यही कारण है कि इस मंदिर में देवी कालिका और मोस्टा देवता दोनों की पूजा की जाती है।
देवताओं के साथ दिव्य शक्तियों का वास
मान्यता के अनुसार, मोस्टा देवता के साथ चौंसठ योगिनियां (64 Yoginis), बावन वीर (52 Divine Warriors) और आठ हजार मसान (8000 Spirits) हमेशा उनके साथ रहते हैं। इन शक्तियों का कार्य मोस्टा देवता की रक्षा करना और उनके भक्तों को हर प्रकार के संकट से बचाना है।
लोगों की यह आस्था है कि यदि क्षेत्र में कभी भी सूखा, अकाल या वर्षा का अभाव हो जाए, तो मोस्टा देवता से प्रार्थना करने पर वर्षा अवश्य होती है और फसलें लहलहा उठती हैं।
भाद्रपद मास में आयोजित वार्षिक मेला (Mostamanu Mela)
हर वर्ष भाद्रपद (भादो) मास की ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) के पावन अवसर पर मोस्टामानु मंदिर परिसर में एक भव्य तीन दिवसीय मेला (Fair) आयोजित किया जाता है।
मेले का महत्व
- यह मेला पिथौरागढ़ और आस-पास के क्षेत्रों से हजारों भक्तों को आकर्षित करता है।
- मेले के दौरान लोग मोस्टा देवता से वर्षा और समृद्धि की कामना करते हैं।
- भक्तजन यहां आकर भजन-कीर्तन, धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं।
- माना जाता है कि इस मेले में शामिल होने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और अकाल, सूखा, रोग और संकटों से मुक्ति मिलती है।
मोस्टामानु मंदिर का रहस्यमयी चमत्कारी पत्थर
इस मंदिर का एक और रहस्य है, जो इसे और भी अद्भुत और दिव्य बनाता है। मंदिर परिसर में स्थित एक रहस्यमयी पत्थर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
चमत्कारी पत्थर की मान्यता:
- कहा जाता है कि कोई भी व्यक्ति शारीरिक बल (शक्ति) से इस पत्थर को हिला या उठा नहीं सकता।
- लेकिन, यदि कोई व्यक्ति “हर हर महादेव” का जाप करते हुए उस पत्थर को उठाने का प्रयास करे, तो वह उसे अपनी दो अंगुलियों से बड़ी आसानी से उठा सकता है।
- इस चमत्कार को देखने और अनुभव करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं।
लोगों का विश्वास है कि यह चमत्कार भगवान शिव (Mahadev) और मोस्टा देवता के आशीर्वाद से होता है।
मोस्टामानु मंदिर से दिखने वाला अद्भुत नजारा
मोस्टामानु मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है।
- यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां से पूरा पिथौरागढ़ शहर और सोर घाटी का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है।
- यहां की ठंडी हवा, हरियाली, शांति और आध्यात्मिक वातावरण आपके मन और आत्मा को शांति प्रदान करता है।
- भक्त यहां आकर ध्यान, प्रार्थना और ध्यान साधना करते हैं और अपने मन को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं।
मोस्टामानु मंदिर कैसे पहुंचे?
यदि आप मोस्टामानु मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो आप निम्नलिखित मार्गों से यहां पहुंच सकते हैं:
- सड़क मार्ग:
- पिथौरागढ़ से चंडाक (7 किमी) के लिए टैक्सी, कार या बाइक से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- रेल मार्ग:
- निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर रेलवे स्टेशन (150 किमी) है। वहां से टैक्सी या बस द्वारा पिथौरागढ़ पहुंचा जा सकता है।
- वायु मार्ग:
- निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट (240 किमी) है। वहां से बस, टैक्सी या निजी वाहन द्वारा पिथौरागढ़ पहुंच सकते हैं।
मोस्टामानु मंदिर क्यों जाएं?
✅ आध्यात्मिक अनुभव:
- यहां आकर आपको मोस्टा देवता और भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति का अनुभव होगा।
✅ सांस्कृतिक समागम:
- यदि आप भादो मास (भाद्रपद) के दौरान आएं, तो आप यहां का भव्य तीन दिवसीय मेला (Mostamanu Fair) देख सकते हैं।
✅ प्राकृतिक सौंदर्य:
- यह मंदिर पहाड़ों की ऊंचाई पर स्थित है, जहां से पूरा पिथौरागढ़ और सोर घाटी का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है।
✅ चमत्कारी पत्थर उठाने का अनुभव:
- अगर आप इस रहस्यमयी पत्थर को देखना और उसे दो उंगलियों से उठाने का चमत्कार अनुभव करना चाहते हैं, तो यह स्थान अवश्य जाएं।
निष्कर्ष:
मोस्टामानु मंदिर, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। यहां की आध्यात्मिकता, प्राकृतिक सुंदरता और मोस्टा देवता का चमत्कार हर श्रद्धालु को अपनी ओर आकर्षित करता है।
यदि आप कभी उत्तराखंड या पिथौरागढ़ यात्रा करें, तो इस पवित्र स्थल मोस्टामानु मंदिर के दर्शन अवश्य करें और मोस्टा देवता का आशीर्वाद प्राप्त करें।