
मां चंडिका देवी मंदिर, पिथौरागढ़: न्याय और आस्था का प्रतीक
मां चंडिका देवी मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। देवी चंडिका को मां दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है, जिनका उल्लेख मार्कण्डेय पुराण के दुर्गा माहात्म्य में मिलता है। देवी को न्याय की देवी कहा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वह अपने भक्तों को न्याय दिलाने और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करने में सहायक होती हैं।
मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा
प्राचीन स्थान: बुंगाछीना के हरदेव में मंदिर
करीब 400 साल पहले, मां चंडिका का मंदिर बुंगाछीना के हरदेव नामक स्थान पर स्थित था। इस स्थान पर मां चंडिका के साथ उनकी बहन मां महानंदा देवी का भी एक मंदिर था।
मां नंदा और मां चंडिका का अलग होना
किंवदंतियों के अनुसार, मां चंडिका मांसाहार प्रवृत्ति की थीं, जबकि उनकी बहन मां नंदा शाकाहारी थीं। इस कारण मां नंदा ने चंडिका को यह स्थान छोड़ने का आदेश दिया। देवी चंडिका ने अपनी बहन की आज्ञा मानते हुए वह स्थान छोड़ दिया और रामगंगा नदी में प्रवाहित हो गईं।
चंडिका घाट मंदिर की स्थापना
बहते हुए मां चंडिका की मूर्ति उस स्थान तक पहुंची, जहां आज चंडिका घाट मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि स्थानीय ग्रामीणों ने मां चंडिका की मूर्ति को रामगंगा नदी से निकालकर एक स्वच्छ एवं पवित्र स्थान पर रख दिया।
कुछ समय बाद, जब गांव के लोगों ने मूर्ति को वहां से हटाने का प्रयास किया, तो वह टस से मस नहीं हुई। उसी रात मां चंडिका ने गांव के एक व्यक्ति को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि वह इसी स्थान पर रहना चाहती हैं। इसके बाद भक्तों ने इस स्थान पर मंदिर की स्थापना कर दी और तब से मां चंडिका देवी यहीं विराजमान हैं।
मंदिर का धार्मिक महत्व
- न्याय की देवी – भक्तों का विश्वास है कि मां चंडिका अपने शरण में आए श्रद्धालुओं को न्याय प्रदान करती हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।
- शक्ति उपासना केंद्र – मां चंडिका देवी का यह मंदिर शक्ति साधना और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।
- नवरात्रों में विशेष अनुष्ठान – नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा-अर्चना, हवन और भजन-कीर्तन आयोजित किए जाते हैं।
- भक्तों की गहरी आस्था – इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और मां के चरणों में शीश झुकाते हैं।
यात्रा और दर्शन संबंधित जानकारी
- स्थान: चंडिका घाट, पिथौरागढ़, उत्तराखंड
- निकटतम शहर: पिथौरागढ़ (मुख्य बाजार से लगभग 5-7 किमी दूर)
- मंदिर दर्शन का समय: प्रातः 5:00 बजे से 2:00 बजे तक
- विशेष आयोजन: नवरात्रि, दुर्गा पूजा, अन्य हिंदू पर्व
निष्कर्ष
मां चंडिका देवी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि आस्था, शक्ति और न्याय का प्रतीक भी है। इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा और मान्यताएं इसे और भी रहस्यमय व अद्भुत बनाती हैं। यदि आप शक्ति उपासना में रुचि रखते हैं या देवी माँ का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह स्थान आपकी आस्था को और भी दृढ़ कर सकता है।