
पिथौरागढ़ वन विभाग, विंग्स फाउंडेशन और हिमालयन शैफर्ड के संयुक्त तत्वावधान में ‘Pithoragarh Butterfly Count’ के सातवें सत्र का आयोजन 28 अप्रैल से 7 मई 2025 तक सफलतापूर्वक किया गया। इस अभियान का उद्देश्य तितलियों के संरक्षण के साथ-साथ वनाग्नि के प्रति जागरूकता को भी बढ़ावा देना था। इस पहल का नेतृत्व डी. एफ. ओ. आशुतोष सिंह ने किया।
विंग्स फाउंडेशन से जगदीश भट्ट ने पिथौरागढ़ जिले के विभिन्न स्थलों पर अभियान चलाया। वहीं हिमालयन शैफर्ड समूह द्वारा मुनस्यारी क्षेत्र में तितलियों से संबंधित विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें मुनस्यारी पब्लिक जूनियर हाई स्कूल, सर्वोदय पब्लिक स्कूल, विवेकानंद विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, राजकीय महाविद्यालय मुनस्यारी, वन रक्षक प्रशिक्षु तथा राजकीय महाविद्यालय बेरीनाग शामिल थे।
इको पार्क, मुनस्यारी से बृजेश धर्मशक्तू के नेतृत्व में जैव विविधता और ऊंचाई आधारित क्षेत्रों में फील्ड वर्क्स किए गए। इन क्षेत्रों में तितलियों की गणना के लिए गहन अध्ययन और अवलोकन किया गया।
इस अभियान के दौरान कुमाऊं मीडो ब्लू जैसी दुर्लभ तितली पर विशेष ध्यान दिया गया। इसका आकार लगभग 30–35 मिमी होता है और यह तितली मुनस्यारी की जोहार घाटी में समुद्र तल से 3200–4200 मीटर की ऊँचाई पर पाई जाती है। इसे पहली बार 1926 में रिले द्वारा मिलम गांव के पास खोजा गया था। यह एक मॉडल जीव मानी जाती है — ऐसे जीव जो केवल विशिष्ट परिस्थितियों में पाए जाते हैं और पर्यावरणीय बदलावों के प्रति अत्यंत संवेदनशील होते हैं। बृजेश धर्मशक्तू के अनुसार, ऐसे जीवों का वैज्ञानिक अध्ययन करके हम किसी क्षेत्र विशेष की पारिस्थितिकी में सूक्ष्म परिवर्तनों को समझ सकते हैं।
हिमालयन शैफर्ड से चंदन कुमार का कहना है कि इस प्रकार के आयोजन से हमें कुछ ऐसी जातियों की भी जानकारी मिल सकती है जो अब तक अज्ञात थीं या विलुप्ति के कगार पर हैं। उनके अनुसार इस बार के बटरफ्लाई काउंट में पिथौरागढ़ जिले से कुल 100 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया और कुल 224 तितली जातियाँ रिकॉर्ड की गईं। इनमें रेडब्रेस्ट, कॉमन अर्ल, कुमाऊं मीडो ब्लू और माउंटेन टॉर्टोइसशेल जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
इस सफल आयोजन में हेमंत धर्मशक्तू, मुकेश लस्पाल, हेमराज पांगती, दीपक धर्मशक्तू और पवन कोरंगा की सक्रिय भागीदारी रही।