
🔷 1. योजना की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
पिथौरागढ़ जिले में इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) और मत्स्य विभाग के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के अंतर्गत एक अभिनव योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सीमावर्ती गांवों के मत्स्य पालकों को स्थायी बाजार उपलब्ध कराना और उनकी आजीविका को सशक्त बनाना है।
🔷 2. क्रियान्वयन और सहकारी समितियों की भूमिका
- योजना का क्रियान्वयन मत्स्य पालकों की सहकारी समिति के माध्यम से किया जा रहा है।
- इससे मत्स्य पालकों को संगठित रूप में कार्य करने, व्यावसायिक प्रशिक्षण, और व्यापार प्रबंधन की जानकारी प्राप्त हो रही है।
- लगभग 65-80 परिवार इस योजना से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं।
🔷 3. स्थायी बाजार और आर्थिक लाभ
- मत्स्य पालकों द्वारा ताज़ी ट्राउट मछली की आपूर्ति सीधे आईटीबीपी की अग्रिम पोस्टों को की जा रही है।
- इससे किसानों को तेज़, पारदर्शी और समय पर भुगतान मिल रहा है।
- अपने ही गांव में मछली विक्रय कर पाने से उन्हें सम्मानजनक आय प्राप्त हो रही है।
- पहले जो परिवार आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे थे, अब आत्मनिर्भर बन रहे हैं।
🔷 4. गुणवत्तापूर्ण पोषण और जवानों का स्वास्थ्य
- ITBP जवानों को ताज़ी और पौष्टिक ट्राउट मछली उपलब्ध कराई जा रही है।
- ट्राउट मछली में पाए जाते हैं:
- प्रोटीन (20-25 ग्राम/100 ग्राम), जो लगभग 90-95% पाचन योग्य होता है।
- ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड
- विटामिन A, B2, B3, B6, B12, नियासिन
- आयोडीन, सेलेनियम, जिंक, फास्फोरस आदि।
- यह मछली जवानों के स्वास्थ्य और पोषण के लिए अत्यंत लाभदायक है।
🔷 5. सामुदायिक विकास और सहभागिता
- सहकारी समितियों के ज़रिए पारस्परिक सहयोग, संगठनात्मक क्षमता और स्थानीय नेतृत्व को बढ़ावा मिल रहा है।
- महिलाओं और युवाओं की भागीदारी को विशेष प्रोत्साहन मिल रहा है।
- यह पहल समुदाय में सामूहिक स्वावलंबन को जन्म दे रही है।
🔷 6. वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
- स्थानीय स्तर पर उत्पादित ट्राउट मछली को प्रोत्साहन देकर यह योजना ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को सशक्त बना रही है।
- क्षेत्रीय संसाधनों के प्रभावी उपयोग से पलायन की समस्या में कमी आने की संभावना बढ़ी है।
- यह मॉडल भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय उदाहरण बन सकता है।
