अर्जुन पुरस्कार विजेता हरि दत्त कापड़ी जी का निधन – एक युग का अंत

अर्जुन अवॉर्डी हरि दत्त कापड़ी

अर्जुन अवॉर्डी हरि दत्त कापड़ी

अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित महान बास्केटबॉल खिलाड़ी श्री हरि दत्त कापड़ी नहीं रहे – खेल जगत में शोक की लहर

डीडीहाट के चिड़ियाखान निवासी और भारत के प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित बास्केटबॉल खिलाड़ी श्री हरि दत्त कापड़ी का बीमारी के कारण पिथौरागढ़ में निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे।

उनके निधन की खबर मिलते ही खेल प्रेमियों, पूर्व खिलाड़ियों और सामाजिक संगठनों में शोक की लहर दौड़ गई। हरि दत्त कापड़ी का जीवन समर्पण, अनुशासन और प्रेरणा का प्रतीक रहा।

खेल और सेना में गौरवपूर्ण योगदान

श्री कापड़ी ने वर्ष 1957 में बीईजी बॉयज कंपनी में सैनिक के रूप में अपनी सेवा शुरू की।
उन्होंने 1960 से बास्केटबॉल खेलना प्रारंभ किया और 1963 में पहली बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया। उनकी प्रतिभा और मेहनत के बल पर 1971 में वे भारतीय बास्केटबॉल टीम के कप्तान नियुक्त किए गए। उनके नेतृत्व में भारत ने टोक्यो में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में भाग लिया।

वर्ष 1963 से 1978 तक वे भारतीय बास्केटबॉल टीम के प्रमुख सदस्य और कप्तान रहे।
उनके नेतृत्व में भारतीय सेना की टीम ने 14 बार स्वर्ण पदक और एक बार कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। उनके अद्वितीय प्रदर्शन और राष्ट्र के प्रति योगदान के लिए उन्हें 1969 में अर्जुन पुरस्कार से नवाज़ा गया।

स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान

हरि दत्त कापड़ी की स्मृति में पिथौरागढ़ स्पोर्ट्स स्टेडियम की दर्शक दीर्घा का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया है। वे न केवल एक खिलाड़ी थे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे।

उनके निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, विधायक फकीर राम टम्टा, बिशन सिंह चुफाल, राज्य मंत्री हेमराज बिष्ट सहित अनेक जनप्रतिनिधियों और संगठनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी ने पिथौरागढ़ में दिवंगत खिलाड़ी के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

जिलाधिकारी ने श्री कापड़ी को भारतीय बास्केटबॉल का गौरव और प्रेरणास्रोत बताया। उन्होंने कहा, “हरि दत्त कापड़ी ने अपने उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन से न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश को गर्व करने का अवसर दिया। अर्जुन पुरस्कार उनके असाधारण योगदान का सम्मान है। उनका निधन खेल जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।”

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